Thursday, November 15, 2018

कहानी -- हिंदी फिल्म -- मौहल्ला अस्सी

कहानी -- हिंदी फिल्म -- मौहल्ला अस्सी 
रिलीज़ -- १६ नवम्बर 
बैनर -- क्रॉसवर्ड एंटरटेनमेंट प्रा लिमि 
निर्माता -- विनय तिवारी 
निर्देशक -- चंद्र प्रकाश द्विवेदी 
संवाद -- राज नाथ 
कहानी -- डॉ काशी नाथ सिंह 
डॉ काशी नाथ सिंह के उपन्यास "काशी का अस्सी " पर आधारित 
कलाकार -- सनी देओल, साक्षी तँवर, रवि किशन,सौरभ शुक्ला, मुकेश तिवारी,राजेंद्र गुप्ता, मिथिलेश चतुर्वेदी,सीमा आज़मी 
फिल्म "मौहल्ला अस्सी " साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखक काशी नाथ सिंह के उपन्यास "काशी का अस्सी " पर आधारित है । यह फ़िल्म राजनीतिक परिवर्तनों पर व्यंग्य है। १९८८  से १९९८  के दौरान सारे देश के साथ - साथ वाराणसी जैसे धार्मिक शहर में हुए वैश्वीकरण का लोगों पर जो प्रभाव हुआ उसी सब को फ़िल्म में दिखाया गया है। फ़िल्म के निर्देशक हैं डॉ चन्द्र प्रकाश द्विवेदी। यह वही चन्द्र प्रकाश द्विवेदी हैं जिन्होंने २००३  में फ़िल्म 'पिंजर' बनाई थी। डॉ द्विवेदी ने लोकप्रिय धारावाहिक 'चाणक्य' को निर्देशित किया और अभिनय भी किया। इसके अलावा इन्होंने मृत्युंजय, एपिक चैनल के लिए धारावाहिक 'महाभारत' भी बनाया था।
अभिनेता सनी देओल की पिछली फिल्म " यमला पगला दीवाना फिर से " बुरी तरह से असफल रही थी। इससे पहले २०१७ में फिल्म "पोस्टर बॉयज" भी आयी थी यह फिल्म भी सनी देओल के होम प्रोडक्शन में बनी थी , ठीक ठाक रही थी यह फिल्म।  तो अब सनी को जरूरत है एक सफल फिल्म की। साक्षी तंवर की पिछली फिल्म "दंगल " सुपर हिट फिल्म साबित हुई थी. अभी साक्षी एपिक चैनल में "त्यौहार की थाली " नामक एक शो कर रही हैं।  
 फिल्म " मौहल्ला अस्सी " की कहानी बनारस शहर के हो रहे व्यावसायीकरण और विदेशी पर्यटकों को लुभाने वाले नकली गुरुों पर आधारित है।  धर्म नाथ पांडे ( सनी देओल ) संस्कृत का अध्यापक है।  सुबह वह  घाट पर बैठ कर तीर्थ यात्रियों के काम करता है और दोपहर में संस्कृत पढ़ाता है। वह धर्म रक्षा परिषद का अध्यक्ष भी है। धर्म नाथ  अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने वाला इंसान है।  ग्लोबलाइजेशन का असर बनारस और अस्सी पर भी नजर आ रहा है. कई विदेशी लोग अस्सी में रहने के लिए अपना ठिकाना ढूंढते हैं लेकिन मौहल्ले में उनको रहने के लिए कोई भी घर किराये पर नहीं मिल पाता। धर्म नाथ इस तरह विदेशियों को अपना घर किराये पर देने के खिलाफ है। उसका कहना है कि ब्राह्मणों के घर विदेशियों का काम ? जबकि दूसरे पंडे पैसे कमाने के लालच में विदेशियों को पेइंग गेस्ट रखना चाहते हैं लेकिन कोई भी धर्म नाथ के खिलाफ आवाज़ नहीं उठा पाता।  दूसरी ओर कन्नी गुरु ( रवि किशन ) भी एक ऐसा व्यक्ति है जिसकी जिंदगी में किसी भी सिद्धान्त के कोई मायने ही नहीं है। तभी धर्म नाथ की जिंदगी में कुछ ऐसा हो जाता है जिससे उसे अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करना पड़ता है और अपने ही घर में विदेशियों को पेइंग गेस्ट रखना पड़ता है। 
ऐसा क्या होता है धर्म नाथ की जिंदगी में, जिससे वो अपने सिद्धांतों  पर अडिग नहीं रह पाता ? उसके ऐसा करने से मौहल्ले वालो पर क्या कुछ असर होता है ? यही सब दिखाया गया है फिल्म में। 

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