कहते है बंद मुठ्ठी लाख की , यह कहावत एक बार फिर चरितार्थ होने जा रही है। और इसे चरितार्थ करेंगे देश के युवा निर्देशक सुबोध गांघी तथा युवा निर्माता दिनकर कुमार भोलू । ये युगल जोड़ी लीगल फिल्म्स के बैनर तले अपनी पहली फ़िल्म डार्क जोन में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के मूड में दिख रहे है।
फ़िल्म के निर्माता दिनकर भोलू कहते है की हमारी यह फ़िल्म देश के कुछ ऐतिहासिक फैसले और उससे बने सामाजिक संरचनाओं को परिभाषित करेगी। नक्सलवाद से आज पूरा देश त्रस्त है। निजी सेनाओ का बनना आज भी जारी है। कौन ये लोग ? कई ऐसे सवालो के जबाब तलाशती यह फ़िल्म हमारे युवाओ के लिए शिक्षाप्रद फ़िल्म होगी। हमारे युवा निर्देशक सुबोध गांधी की लेखनीय क्षमता और दूरदर्शी सोच ने हमे बहुत प्रभावित किया। यह उनकी पहली हिंदी फीचर फिल्म है। और हम यकीन के साथ कह सकते है कि इस फ़िल्म से सुबोध गांधी के रूप में बॉलीवुड को एक और बेहतरीन निर्देशक प्राप्त होगा। जो बॉलीवुड में उत्तर भारत के स्तम्भ प्रकाश झा के स्थान को रिक्त नही होने देगा।
लेखक निर्देशक सुबोध गाँधी ने बताया कि इस कॉन्सेप्ट पर फ़िल्म बनाना कोई मामूली खेल नही है। मैं पिछले तीन वर्षों से अपने इस कॉन्सेप्ट पर काम कर रहा हूँ। इस पृष्ठभूमि से जुड़े देश के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों की शोध रिपोर्ट पर आधारित इसकी पटकथा बहुत ही रोचक है। यह दर्शको को उद्वेलित भी करेगी और रोमांचित भी। बहुत जल्द इस फ़िल्म के स्टार कास्ट की घोषणा की जाएगी। फ़िल्म का काम जोर शोर से चल रहा है। फ़िल्म की शूटिंग अक्टूबर माह में शुरू होने की सम्भवना है। सुबोध गांधी का मानना है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का साधन नही होता। हम सिनेमा को साहित्य के रूप में देखते है। क्योंकि आज समाज मे सिनेमा का सबसे बड़ा प्रभाव दिखाई देता है। ऐसे में हम शोध परक और सार्थक फ़िल्म बना कर समाज में युवाओ को भटकने से रोकने का प्रयास कर सकते है, उन्हें नई दिशा और नई ऊर्जा दे सकते है। इस फिल्म के प्रचारक संजय भूषण पटियाला ,पवन दुबे और रंजन सिन्हा है
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