Wednesday, June 8, 2016

बहुत ही मुश्किल रहा, दिखाई देते हुए भी न दिखाई देने का अभिनय करना ---- काजल अग्रवाल


मुंबई में  जन्मी और बढ़ी हुई अभिनेत्री काजल अग्रवाल ने यूं तो  तमिल और  तेलुगु भाषा की करीब ४६  फिल्मों में काम करके दक्षिण में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है लेकिन जैसा की सभी चाहते हैं कि वो हिंदी फिल्मों में  अभिनय करके भी अपना मुकाम हासिल करे।  ऐसा  ही कुछ कर रही हैं बड़ी बड़ी खूबसूरत आँखों वाली काजल। एक तरह से देखा जाये तो फिल्म "दो लफ़्ज़ों  की कहानी" काजल की चौथी हिंदी फिल्म है क्योंकि ऐश्वर्या और विवेक अभिनीत फिल्म "क्यों हो गया न " काजल की पहली  फ़िल्म थी इस फ़िल्म में उनका कुछ ३ एक मिनट का काम था लेकिन काजल अपनी पहली हिंदी फिल्म "सिंघम " ही मानती हैं। काजल से बहुत सारी बातें हुई कुछ हंसी मजाक भी हुआ. कुछ यादगार पल भी साथ बिताये और फोटो भी खिंचवाये।  पेश हैं कुछ मुख्य अंश ------

फिल्म दो लफ्जों की कहानी में आप अंधी युवती बनी हैं तो कितना मुश्किल रहा ऐसी भूमिका करना ?
बहुत ही मुश्किल रहा , दिखाई देते हुए भी न दिखाई देने का अभिनय करना।  मेरी आँखे वैसी ही इतनी बढ़ी हैं। मैंने फ़िल्में देखी , हेलन केलर की  किताबें पढ़ी जिससे  मैं अंधी युवती की भूमिका के साथ मैं पूरा न्याय कर सकूँ साथ ही मैं  ब्लाइंड स्कूल गयी भी वहां के टीचर और छात्रों से मिली। उन्हें देखा और सीखा कि वो किसी बात कर कैसे रिएक्ट करते हैं।  साथ में निर्देशक दीपक तिजोरी ने मेरी बहुत मदद की मेरी इस भूमिका को अभिनीत करने में। जैसा की फिल्मों में दिखाते हैं कि अगर कोई देख नहीं सकता तो दुखी होगा ऐसा सच में नहीं होता। ब्लाइंड स्कूल के सभी लोग बेहद खुश थे सच में यह सब स्कूल में जाकर ही मुझे  समझ में आया ।
 
पहले भी कुछ फ़िल्में आयी हैं जिनमे हीरोइनें अंधी थी जैसे फ़ना और अनुराग।  तो क्या आपने इन फिल्मों को देखा ? 
हाँ जरूर देखा और ख़ास तौर पर इन फिल्मों को मैंने इसलिये भी देखा जिससे मैं कुछ अलग सा अभिनय कर सकूँ और मेरी तुलना इन फिल्मों की हीरोइनों से न हो।

इस फिल्म में अपने लिप लॉक किया है जबकि आपने दक्षिण की फिल्मों में  ऐसा नहीं किया तो कुछ झिझक हुई ?                 हाँ झिझक तो हुई शुरू में लेकिन जब फ़िल्म जब रोमांटिक है प्रेम कहानी है तो किसिंग सीन तो होगा ही । हो सकता है कुछ लोगों को यह लगे कि यह सब हमने सेंसेशन के लिये किया है जबकि सच में ऐसा कुछ नहीं है। मैं दूसरे लोगों की तरह यह भी नहीं कहती कि यह किसिंग कहानी की डिमाण्ड था । क्योंकि फिल्म में लड़की  देख नहीं सकती है  तो उसकी पहचान सिर्फ  छूने से ही है और जब ब्लैक फ़िल्म में बिग बी रानी मुखर्जी को किस कर सकते हैं यानि अपनी से तिगुनी छोटी उम्र की हीरोइन को किस कर सकते हैं फिर इस फ़िल्म में तो हीरो हीरोइन दोनों ही युवा हैं। 

जब आप अपनी हिट फिल्मों का हिंदी रीमेक देखती हैं तो क्या सोचती है ? हंसती है कि क्या कचरा किया है मेरी फिल्म का या कुछ और  ?                                                                     
  नहीं - नहीं मैं ऐसा कुछ भी नही सोचती हर किसी का अपना अंदाज़ होता है अभिनय करने का और एक दर्शक की निगाह से हम जिस फ़िल्म को पहले देखते हैं वो ही अच्छी लगती है चाहे तमिल हो या हिंदी।

आपकी दक्षिण की कौन सी ऐसी फ़िल्म है जिसे आप चाहती हैं कि उसका रीमेक बने और  आप ही उसमें अभिनय करें ?                    मगाधीरा  है वो फिल्म।      
    
अभी तक आपकी 2 फ़िल्मे आयी हैं हिंदी में, दोनों ही हालाँकि हिट रही हैं लेकिन आपके लिये करने जैसा कुछ नही था इन फिल्मों में। " दो लफ़्ज़ों की कहानी " ही ऐसी फ़िल्म है जिसमें आपका पूरी फ़िल्म में काम होगा । तो कैसा रहा रोमांटिक फिल्म में काम करना और सिंघम के बाद इतना ब्रेक कहाँ रहा ?
हाँ दोनों ही फिल्मों में मेरे सीन ज्यादा नहीं थे लेकिन दोनों ही फिल्मों की कहानी अच्छी थी. इस रोमांटिक फिल्म की कहानी भी अच्छी है साथ में मेरी भूमिका भी अच्छी है तो मेरे लिये यह बहुत ही अच्छा है।  कहाँ गायब रही तो मैं दक्षिण की फिल्मों में व्यस्त थी बहुत मुश्किल होता है तमिल , तेलुगु , मलयालम और हिंदी फिल्मों में बेलेंस करना।  जिस भी भाषा में कम काम करो वहीं यह पूछा जाता है कि कहाँ गायब थी।


दक्षिण की फिल्मों में काम करने की वजह कहीं यह तो नहीं कि आपको वहाँ अच्छी भूमिका मिलती है करने को ?                   नहीं नहीं  ऐसा नहीं है किसी भी भाषा की फिल्म हो मैं सबसे पहले फिल्म की कहानी देखती हूँ फिर स्क्रिप्ट फिर मेरा किरदार , निर्देशक और सबसे आखिरी में पैसे की बात आती है।  

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