
“हक़ से जीने का हक़ तू कर अदा” इस गाने की लाइनें तो
आज के सन्दर्भ में तो बिलकुल ही सटीक बैठती हैं क्योंकि
आज जिस तरह हमारे समाज में महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं उनका शोषण हो रहा है.
आम
तौर पर कैलाश खेर के गीत सर्वोच्च शक्ति यानि भगवान को समर्पित होते हैं लेकिन इस
बार उन्होंने कोशिश की है हमारे समाज में फैले पुरुष और महिला के बीच असंतुलन को संतुलित करने की.
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